Tuesday, 29 March 2011

गणपति वंदना

गणपति को प्रथमे करो वंदन |मिळत सुक्ख दुःख होत निकंदन |1
रिद्धि सिद्धि सोहत संग जाके|भाल विशाल सिन्दूर को चन्दन |2
 अब हम पर नित दाया कीजै |वाहन मूष उमा के नन्दन||3

सुनिए विनय गजानन अब हम सुनाने वाले |
अब पर बेडा मेरा,तुम हो लगाने वाले|4
है मूष की सवारी,और दिल डौल भरी |
देवन में आदि पूजन अपनी करने वाले |5
कवियों के कार्य सारो,बुद्धि मेरी सुधारो |
हिरदय में मेरे बसिए,आनंद बढ़ाने वाले |6

  शारदा वंदना ---
शरन में निशि दिन हूँ तेरी,सुनो शारद महारानी जी ||1
बसों  हिरदय में आ मेरे,सकल गुण की निधानी जी|2
 तुम्हारे ही बदौलत से हुवे कवी लोग ज्ञानी जी||३
 अरज मेरी सुनो चित दे,कहौ मई कछु कहानी जी||४

परमहंस श्री राम मंगल दास

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