गणपति को प्रथमे करो वंदन |मिळत सुक्ख दुःख होत निकंदन |1
रिद्धि सिद्धि सोहत संग जाके|भाल विशाल सिन्दूर को चन्दन |2
अब हम पर नित दाया कीजै |वाहन मूष उमा के नन्दन||3
सुनिए विनय गजानन अब हम सुनाने वाले |
अब पर बेडा मेरा,तुम हो लगाने वाले|4
है मूष की सवारी,और दिल डौल भरी |
देवन में आदि पूजन अपनी करने वाले |5
कवियों के कार्य सारो,बुद्धि मेरी सुधारो |
हिरदय में मेरे बसिए,आनंद बढ़ाने वाले |6
शारदा वंदना ---
शरन में निशि दिन हूँ तेरी,सुनो शारद महारानी जी ||1
बसों हिरदय में आ मेरे,सकल गुण की निधानी जी|2
तुम्हारे ही बदौलत से हुवे कवी लोग ज्ञानी जी||३
अरज मेरी सुनो चित दे,कहौ मई कछु कहानी जी||४
परमहंस श्री राम मंगल दास